हम आपको इस लेख के माध्यम से श्रावण माह में बिल्वपत्र की तीन पत्तियों के महत्व के बारे में बताएंगे।
बेलपत्र, जिसे हम बिल्वपत्र भी कहते हैं, इसके बिना भगवान शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार बेलपत्र और ढेर सारा जल चढ़ाने से भगवान शिव बहुत प्रसन्न हो जाते हैं और इसलिए आशुतोष कहलाते हैं। आपने देखा होगा, बेलपत्र में तीन पत्ते एक साथ जुड़े होते हैं और यही तीन पत्ते मिलकर, एक पत्ता बनाते हैं जिसे भगवान शिव को चढ़ाया जाता है। आखिर भगवान शिव को चढ़ाए जाने वाले, तीन पत्तियों के इस बेलपत्र का क्या मतलब है?
आइए, इन पत्तों को अलग-अलग नज़रिए से देखें, धार्मिक मान्यता के अनुसार, बेलपत्र के तीन पत्तों को ब्रह्मा, विष्णु और महेश की त्रिमूर्ति का प्रतीक माना जाता है, जो सृजन, संरक्षण और विनाश का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके अलावा इसे त्रिशूल और भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक भी माना जाता है। और यही कारण है कि, बेलपत्र भगवान शिव को इतना पसंद है।
वहीं मनुष्य जीवन में मौजूद तीन गुण- सत्व, रज और तम, इनको भी, बेलपत्र की यह तीन पत्तियां दर्शाती हैं। अब आप सोचेंगे ये कौन से गुण हैं? दरअसल, सृष्टि की रचना, इन्ही त्रिगुणों से हुई है, सत्त्व, रज एवं तम। ये तीनों घटक, सजीव-निर्जीव, स्थूल-सूक्ष्म, सभी वस्तुओं में मौजूद होते हैं। किसी भी वस्तु से निकलने वाले कंपन, उसके सूक्ष्म मूल - सत्त्व, रज एवं तम घटकों के अनुपात यानी अनुपात पर निर्भर होते हैं। और इसी से, प्रत्येक वस्तु और मनुष्य का व्यवहार भी प्रभावित होता है। और इस अनुपात से मनुष्य में होने वाले प्रभाव को, केवल साधना से ही बदला और संतुलित किया जा सकता है। और बेलपत्र की यह पत्तियां, सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण होने के कारण, इसमें सक्षम हैं।
इसके परे देखा जाए, तो बेलपत्र के पेड़ को, उसके कुछ गुणों के कारण, सदियों से एक पवित्र वृक्ष के तौर पर देखा गया है। यह हर क्षेत्र में लाभदायक होता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि बेलपत्र सिर्फ भगवान भोलेनाथ को खुश करने के लिए ही नहीं बल्कि सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। आयुर्वेद के अनुसार, बेल के पत्तों में दिव्य औषधीय गुण होते हैं।और यही वजह है,कि पौराणिक मान्यताओं के साथ-साथ आयुर्वेदिक गुणों की वजह से बेलपत्र इतना पूजनीय है।.
इस तरह की कई चीज़ें हैं, जो मान्यताओं के अनुसार बेलपत्र को पवित्र बनाती हैं, और जिन्हें भगवान शिव को अर्पित किया जाता है, लेकिन यह सिर्फ यही मायने नही रखता, यह आपके और उस परम शक्ति के बीच एक साधन है। क्योंकि मनुष्य जब, आध्यात्मिक पथ पर चलता है, तो वो हर मुमकिन तरीके से उस चीज़ को ढूँढता है, जो उसे ईश्वर के क़रीब ले जाए। आप भी इस बेलपत्र रुपी साधन को भगवान भोलेनाथ पर अर्पित करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें, अपने जीवन को बेलपत्र के गुणों से सुशोभित करें।
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